Friday, October 26, 2007

All Watched over by Machines of Loving Grace

जब सारे कबाड़ी कविताई पर उतर आये हैं, तो लगे हाथ मैं भी Richard Brautigan की अक्टूबर १९६७ में लिखी कविता चेप देता हूं।

1 comment:

siddheshwar singh said...

क्या सचमुच कविता खानापूरी के रूप में इस्तेमाल हो रही है यदि ऐसा है तो सोचना पड़ेगां। इस कविता का अनुवाद भी लगााओ अच्छा रहे ं