Saturday, February 23, 2008

बुल्ला की जाणा मैं कौन

बुल्ला की जाणा मैं कौन

ना मैं मोमन विच्च मसीतां, ना मैं विच्च कुफर दीआं रीतां
ना मैं पाकां विच्च पलीतां, ना मैं मूसा ना फिरऔन।

ना मैं अंदर बेद किताबां, ना विच भंगां और शराबां
ना विच रिंदां मस्त खराबां, ना विच जागन ना विच सौन।

ना विच शादी ना गमनाकी, ना मैं विच्च पलीती पाकी
ना मैं आबी ना मैं खाकी, ना मैं आतिश ना मैं पौन।

ना मैं अऱबी ना लाहौरी, ना मैं हिंदी शहर नगौरी
ना हिंदू ना तुरक पशौरी, ना मैं रहिंदा विच्च नदौन।

ना मैं भेद मजहब दा पाया, ना मैं आदम हव्वा दा जाया
ना मैं अपणा नाम धराया, ना विच बैठन ना विच भौन।

अव्वल आखर आप नूं जाना, ना कोई दूजा होर पछाना
मैथों होर न कोई सिआना, बुल्ला शाह खड़ा है कौन।


(विमल भाई और यूनुस भाई की ज़बरदस्त डिमांड पर लीजिए मैं ही लगा दे रहा हूं रब्बी शेरगिल का गाया यह गीत - ख़ाकसार अशोक कबाड़ी)


tafreeh.com - Bulla .mp3
Found at bee mp3 search engine

7 comments:

VIMAL VERMA said...

इसका हिन्दी अनुवाद और साथ में रब्बी शेरगिल का ऑडियो लगा देते तो कोई समस्या थी?..वैसे ये प्रयास भी बेहतर लगा....

mamta said...

अच्छा गीत है।

अजित वडनेरकर said...

बहुत बढ़िया चंदूभाई । बाबा बुल्लेशाह की बानी मन को छूती है।

Yunus Khan said...

भाई सही कह रहे हैं विमल जी । अरे हिंदी अनुवाद ना करते पर कम से कम प्‍लेयर तो चिपकाते ।
फिर भी पंजाबी लिरिक्‍स को उतारकर आपने अच्‍छा काम किया है ।

VIMAL VERMA said...

ये हुई ना बात !अशोक कबाड़ी,और चन्दू जी का शुक्रिया करता हूँ कि रात अब थोड़ा सुकून से सो पाउंगा...वैसे मैं भी गाना चिपकाने के फ़िराक में था...वैसे इसका हिन्दी अनुवाद मनीषजी के ब्लॉग पर है...फिर भी काम आपने दुरुस्त किया है

चंद्रभूषण said...

भाई यूनुस जी, ये पंजाबी लिरिक्स नहीं हैं, न ही रब्बी शेरगिल के गाए गीत को सुनकर ये पंक्तियां कबाड़खाना पर डालने की प्रेरणा मिली है। यह बाबा बुल्लेशाह की मूल रचना है, जिसे मैंने साईं बुल्लेशाह नाम की उस किताब से उठाकर यहां रखा है, जिसका जिक्र कुछ वक्त पहले अपने ब्लॉग पहलू पर जिक्र किया था। किताब से यहां कुछ डालने का दिल कर रहा था। सोचा, यह पद कुछ परिचित सा लगेगा तो आसानी से सबके पढ़ने में आ जाएगा।

samar Singh said...

Bulla ki jaana main kaun
[Bulla! I know not who I am]
Bulla ki jaana main kaun
[Bulla! I know not who I am]
Na main moman vich maseetan
[Nor am I the believer in mosque]
Na main vich kufar dian reetan
[Nor am I in the rituals of the infidel]
Na main pakan vich paleetan
[Nor am I the pure in the impure]
Na main andar bed kitaban
[Nor am I inherent in the Vedas]
Na main rehnda phaang sharaban
[Nor am I present in intoxicants]
Na main rehnda mast kharaban
[Nor am I lost nor the corrupt]
Na main shadi na ghamnaki
[Nor am I union nor grief]
Na main vich paleetan pakeen
[Nor am I intrinsic in the pure/impure]
Na main aaabi na main khaki
[Nor am I of the water nor of the land]
Na main aatish na main paun
[Nor am I fire nor air]
Bulla ki jaana main kaun
[Bulla! I know not what I am]
Na main arabi na lahori
[Nor am I Arabic nor from Lahore]
Na main hindi shehar Nagaori
[Nor am I the Indian City of Nagaur]
Na hindu na turk pashauri
[Nor a Hindu nor a Peshawri turk]
Na main bhet mazhab de paya
[Nor did I create the difference of faith]
Na main aadam hawwa jaya
[Nor did I create adam-eve]
Na koi apna naam dharaya
[Nor did I name myself]
Avval aakhar aap nu jana
[Beginning or end I know just the self]
Na koi dooja hor pacchana
[Do not acknowledge duality]
Mai ton na koi hor syana
[There’s none wiser than I]
Bulle shah kharha hai kaun
[Who is this Bulla Shah]
Bulla ki jaana main kaun
[Bulla! I know not who I am]
Bulla ki jaana main kaun
[Bulla! I know not who I am]
Na main moosa na pharoah
[Nor am I Moses nor Pharoah]
Na main aatish na main paun
[Nor am I fire nor wind]
Na main rahnda vich Nadaun
[I do not stay in Nadaun (city of innocents)]
Bulle shah kharha hai kaun
[Bullashah, who is this man standing?]
Bulla ki jaana main kaun
[Bulla! I know not who I am]
Bulla ki jaana main kaun
[Bulla! I know not who I am]