Friday, April 25, 2008

परवीन सुल्ताना: रागेश्री

गरमियां चढ़ना शुरू होती हैं और मुझे परवीन सुल्ताना की आवाज़ याद आने लगती है. पता नहीं ऐसा क्यों होता है पर बाहर जितनी ज़्यादा गरमी पड़ने लगती है मैं इसी अद्वितीय आवाज़ की शरण में पहुंच जाता हूं. कल इस कदर गर्मी थी. उफ़!

दूसरा माफ़ीनामा:

पहले सिद्धेश्वर को तकलीफ़ हुई गाना अपलोड करने में अब आज जब मैंने एक नया प्रयोग करना चाहा तो वह भी फ़ेल हो गया। इस पोस्ट में संगीत चढ़ा चुकने के बाद मैं देख रहा हूं कि मेरे कम्प्यूटर पर तमाम फ़ॉन्ट्स अजीब से हो गए हैं। लगातार दूसरी बार, सिर्फ़ तकनीकी कारणों से आप लोगों को परेशानी उठानी पड़ी - क्षमाप्रार्थी हूं। लाइफ़लॉगर के ठीक होते ही या हुछ और समाधान मिलते ही आपको इस पोस्ट पर परवीन सुल्ताना का गायन सुनने को मिलेगा।

No comments: