Tuesday, July 15, 2008

बहुत हुई गुर्र,फ़ुर्र, हुर्र,तुर्र: अब सुनो गाना- 'अभी तो मैं जवान हूं'

कविता,कवि और छवि को लेकर
बहस जारी है- जारी रहेगी
लेकिन संगीत तो चलेगा -चलता रहेगा.


ता
रहेगा
गा-गा-गा
मैं ना बताऊंगा कौन रहा है गा
आप ही बूझो और लेवो मजा
'अउर किया'

4 comments:

मिथिलेश श्रीवास्तव said...

हाहाहाहाहा! बहुत मजा आया!

VIMAL VERMA said...

ये फ़ास्ट वाली भी धुन ठीक ही लग रही है, है मलिका पुखराज की आवाज़ में ये अद्भुत लगती है...

Ashok Pande said...

हे कबाड़ शिरोमणि सिद्धेश्वर महाराज! कुछ पता-वता तो देवो इस चक्कू मटेरियल का. गाने से ठीक पहले की पटरताल और घड़ाताल की जोगलबन्दियां लाजवाब हैंगी.

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

वाह-वाह क्या नायाब मिक्सिंग है सिद्धेश्वर बाबू! अभी तो मैं ... के बाद तत्काल प्रभाव से ठुमका लगाने को जी किया. लेकिन क्या करते दफ्तर में थे. सभी साथियों को सुनवाया. हंसते-हंसते लोट-पोट हो गए. ही ही ही ही ही ..... अनंत हीहियाँ!
अब घर में नाच रहा हूँ! किचन, बेडरूमों और हाल में, पाखाना और गुसलखाना अभी बाकी.. अररर शेष है.
हुंह.. बाथरूम ही टेढ़ा है.

ऊऊऊऊन अभी तो मैं.. अभी तो मैं.

इस देश का यारो...........पुर्र्र्र्र्र्र!