Monday, April 27, 2009

वन हंड्रेड ईयर्स ऑफ सॉलीट्यूड - भाग दो

पिछली पोस्ट से जारी:



मेन्दोज़ा: चलो किताब के बारे में बात करते हैं, बुएनदीया परिवार का एकाकीपन आता कहां से है?

मारकेज़: मेरे विचार से प्रेम की कमी से. तुम देख सकते हो कि पूरी शताब्दी में सुअर की पूंछ वाला ऑरेलियानो जन्म लेने वाला इकलौता बुएनदीया है. बुएनदीया लोग प्रेम करने में असमर्थ थे और यही उनकी कुंठा और एकाकीपन की कुंजी है. मैं मानता हूं कि एकाकीपन, भाईचारे का विलोम है.

मैं वह सवाल तुमसे नहीं करूंगा जो हर कोई करता है-कि किताब में इतने सारे ऑरेलियानो और इतने सारे होसे आरकादियो क्यों हैं - क्योंकि हम दोनों जानते हैं कि यह एक लातीन अमरीकी परंपरा है. हम सब के नाम हमारे पिताओं और दादाओं के नाम पर रखे जाते हैं और तुम्हारे परिवार में तो यह परम्परा सनक की इस हद तक पहुंची कि तुम्हारा एक अपना भाई गाब्रीएल के नाम से जाना जाता है. पर मैं समझता हूं कि ऑरेलियानो नाम के लोगों को होसे आरकादियो लोगों से फ़र्क करने में एक सूत्र है. क्या है वह?

बहुत आसान है. होसे आरकादियो नाम के लोगों के बच्चे होते हैं और ऑरेलियानों के नहीं. सिर्फ़ एक अपवाद है - होसे आरकादियो सेगुन्दो और ऑरेलियानो सेगुन्दो. ऐसा शायद इसलिये है कि एक समान जुड़वां होने के नाते जन्म के समय ही उनमें कुछ अदल-बदल हो गई थी.

किताब में पुरुषों के भीतर तमाम खोट हैं (खोजें, कीमियगरी, युद्ध, पीने के दौर) और स्त्रियों में समझदारी. क्या दोनों को तुम इसी तरह देखते हो?

मेरा मानना है कि स्त्रियां संसार को टूटने से बचाए रखती हैं जबकि पुरुष इतिहास को आगे ले जाने का प्रयास करते हैं. अंत में आप हैरत करते हैं कि दोनों में से ज्यादा सनकी कौन है?

स्त्रियां न सिर्फ अगली पीढ़ियों की सुनिश्चितता तय करती हैं बल्कि उपन्यास की भी. क्या शायद यही उसुZला की असाधारण लम्बी जिन्दगी का रहस्य नहीं?


हां, उसने गृहयुद्ध से पहले मर जाना चाहिये था जब वह सौ साल की होने वाली थी पर मुझे अहसास हुआ कि यदि उसकी मौत हो गई तो किताब ढह जायेगी. जब वह अंतत: मरती है, किताब में इतना उबाल आ चुका होता है कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आगे क्या होगा?

किताब में पेत्रा कोट्स की क्या भूमिका है?

सतही तौर पर आप उसे फर्नांदा की छवि के तौर पर देख सकते हैं, एक कैरिबियाई स्त्री जिसे आन्देस की स्त्रियों के प्रति कोई नैतिक पूर्वाग्रह नहीं है. लेकिन मैं समझता हूं उसका व्यक्तित्व बहुत कुछ उर्सुला जैसा है - वह सच्चाई के ज्यादा मोटे तौर पर समझने वाली उर्सुला है.

मैं मानता हूं कि जब तुम किताब लिख रहे थे, कई चरित्र उससे अलग बनकर सामने आये होंगे जैसा तुमने पहले तय किया होगा. क्या तुम कोई उदाहरण दे सकते हो?

हां एक तो सान्ता सोफिया दोन्या पियेदाद का होगा. किताब में, जैसा कि वास्तविकता में हुआ था, मैंने सोचा था कि जब उसे पता लगेगा कि उसे कोढ़ है वह बिना किसी को बताये घर छोड़कर चली जायेगी. हालांकि उस चरित्र का पूरा व्यक्ति समर्पण और स्व-अस्वीकार से निर्मित है, जिसके कारण यह अन्त विश्वसनीय लगता पर मुझे लगा कि मुझे इसे बेहतर बनाना होगा. वह काफी क्रूर लग रहा था.

क्या कोई चरित्र कतई बेकाबू हुआ?

तीन बेकाबू हो गये थे पूरी तरह - इस मायने में कि उनका जीवन और व्यक्तित्व वैसा सामने नहीं आया जैसा मैंने तय किया था. ऑरेलियानो होसे का अपनी आन्ट आमारान्ता के लिये प्रेम मेरे लिये हैरान करने वाला था( होसे ऑरकादियो सेगुन्दो बनाना वर्कर यूनियन का ऐसा नेता नहीं था जो मुझे पसन्द आता( और प्रशिक्षु पोप होसे ऑरकादियो एक ऐसे एडोनिस के रूप में बदल गया जो किताब में जंचता नहीं.

हममें से जो इस किताब के कुछ सूत्रों को जानते हैं, इस बात को महसूस कर सकते हैं कि एक क्षण आता है जब माकोन्दो एक कस्बा, तुम्हारा कस्बा नहीं रह जाता और एक नगर बन जाता है - बारान्कीया. क्या तुमने वहां के किसी परिचित व्यक्ति या स्थान को वहां रखा? इस बदलाव से तुम्हें कोई दिक्कतें तो नहीं आई?

माकोन्दो जगह की बनिस्बत एक मन:स्थिति ज्यादा है, सो कहानी को कस्बे से शहर में ले जाने में कोई खास दिक्कत नहीं आई - न ही किताब के माहौल में कोई परिवर्तन आया.


उपन्यास में तुम्हारे लिये सबसे मुश्किल क्षण कौन सा था?

शुरूआत करना. मुझे वह दिन अच्छे से याद है जब मैं बहुत मुश्किल के बाद पहला वाक्य पूरा कर पाया था और भयभीत होकर मैंने अपने आप से पूछा कि आगे क्या होने वाला है. असल में, जब तक जंगल के बीच वह गलियारा नहीं खोजा गया था, मैं नहीं सोचता था कि किताब का कुछ बन पायेगा. पर उसके बाद किताब लिखना एक तरह का पागलपन बन गया - हालांकि उसमें आनन्द भी आया.

क्या तुम्हें वह दिन याद है जब तुमने उसे खत्म किया? कितना बजा था? तुम्हें कैसा लगा?

अठारह महीनों तक मैं सुबह नौ से दोपहर तीन तक हर रोज लिख रहा था. मुझे पता था कि वह अंतिम दिन था पर किताब अपने नैसर्गिक अन्त पर गलत वक्त पर पहुंची - सुबह करीब ग्यारह बजे. मेरसेदेज़ घर पर नहीं थी और मुझे फोन पर कोई नहीं मिला जिसे मैं इस बारे में बता पाता. मुझे अपनी हैरत बिल्कुल अच्छे से याद है, मानो वह कल घटा हो. मुझे पता नहीं था कि समय के साथ क्या किया जाय, सो तीन बजे तक जिन्दा रहने के लिये मुझे कई तरह की चीजों की खोज करनी पड़ी.

इस किताब के कुछ आयाम जरूर होंगे जिन्हें आलोचकों ने (जिनसे तुम इतनी नफरत करते हो) नजरअन्दाज कर दिया होगा. कौन हैं वे आयाम?

एक तो किताब की सबसे उत्कृष्ट बात है - अपने बेचारे पात्रों के लिये लेखक की उद्दाम भावनाएं.

तुम्हारे ख्याल से तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ पाठक कौन है?

मेरे एक रूसी दोस्त की मुलाकात एक स्त्री से हुई. एक बहुत बूढ़ी स्त्री से जो किताब को हाथ से प्रतिलिपि बना रही थी - आखिरी पंक्ति तक. मेरे दोस्त ने उससे पूछा कि वह क्यों ऐसा कर रही है. वह बोली, "क्योंकि मैं जानना चाहती हूं कि वास्तव में पागल कौन है - लेखक या मैं, और यह जानने के लिये किताब को दुबारा लिखना पड़ेगा." मुझे इससे बेहतर पाठक की कल्पना करना मुश्किल लगता है.


कितनी भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है?

सत्रह.

कहते हैं कि अंग्रेजी अनुवाद बढ़िया हुआ है?

हां, बहुत बढ़िया है. अंग्रेजी में भाषा सघन होकर ज्यादा ताकतवर हो गई है.

और बाक़ी अनुवाद?

मैंने फ्रांसीसी और इतालवी अनुवादकों के साथ थोड़ा काम किया था. दोनों अच्छे अनुवाद हैं हालांकि कम से कम मेरे लिये फ्रांसीसी में किताब में वैसी बात नहीं है.

फ्रांस में यह बहुत ज्यादा नहीं बिकी है - इंग्लैण्ड और इटली के मुकाबले, स्पानी भाषी देशों को छोड़ दें तो, जहां यह असाधारण रूप से सफल हुई है. तुम्हारे ख्याल से ऐसा क्यों है?

शायद कार्तेसियाई परम्परा के कारण. मैं देकार्ते के अनुशासन के बदले राबेलाइस के सनकीपन के ज्यादा करीब हूं और फ्रांस में देकार्ते काफी प्रभावशाली है. शायद इसीलिये यह किताब फ्रांस में और देशों कितनी लोकप्रिय नहीं हुई, हालांकि वहां बढ़िया आलोचनाएं हुईं. रोसाना रोजान्दा ने एक बार मुझे कहा था कि सन् 1968 में जब यह किताब फ्रांस में छपी थी - व्यावसायिक सफलता के लिये वहां वह कोई उल्लेखनीय मौका नहीं था.

क्या तुम्हें `वन हंड्रेड ईयर्स ऑफ सॉलीट्यूड´ की सफलता से हैरत होती है?

हां, बहुत ज़्यादा.

क्या तुमने कभी इसका रहस्य जानने की कोशिश की है?

नहीं, मैं जानना नहीं चाहता. मेरे ख्याल से यह पता करना बहुत ख़तरनाक होगा कि कोई किताब, जिसे मैंने बस कुछ करीबी दोस्तों को दिमाग़ में रखकर लिखा था, इस कदर बिक सकती है.

1 comment:

ghughutibasuti said...

पढ़कर अच्छ लगा। धन्यवाद।
घुघूती बासूती