Thursday, September 23, 2010

बिन सतगुरु नर रहत भुलाना



पण्डित कुमार गन्धर्व जी के स्वर में कबीरदास जी का एक और भजन:

3 comments:

नीरज गोस्वामी said...

वाह....अखंड आनंद...

नीरज

abcd said...

जो बात कही है भैय्या कबीर दास जी ने.....

प्लयेर ने दो ही लाइन सुनायी..
पर मुझ जैसे के लिये वो भी काफ़ी हुई /

प्रवीण पाण्डेय said...

सुनते हुये डूब जाने योग्य संगीत।