Thursday, April 28, 2011

जैसे चॉकलेट के लिए पानी - ११

(पिछली किस्त से जारी)

"कुछ नहीं मामी."

"तुम्हारी चालें में अच्छी तरह समझती हूं. मुझे उल्लू बनाने की कोशिश मत करना. खबरदार कभॊ पेद्रो के नज़दीक फटकने की भी कोशिश की तो."

मामा एलेना की धमकी के कारण वह जानबूझकर पेद्रो से दूर रही. लेकिन उसके चेहरे से खुशी के भावों को हटा पाना असम्भव था. अचानक इस शादी का उसके लिए एक विशेष महत्व हो गया.. अब पेद्रो और रोसौअरा को एक मेज़ से दूसरी मेज़ पर जाकर मेहमानों से बात करते, वाल्ज़ करते या केक काटते देखकर तीता पर कोई असर नहीं पड़ रहा था. अब वह जानती थी कि पेदो उस से प्यार करता था. दावत खत्म होने की प्रतीक्षा उसे मारे डाल रही थी क्योंकि वह भागकर नाचा को सब कुछ बताना चाहती थी. कारेन्यो की ’एटीकेट मैन्युएल’ के हिसाब से वह तब तक मेज़ से उठ ही नहीं सकती थी. सो वह आसमान को देखति रही और क्र्क खाती रही. वह अपने आप में इतनी मशगूल थी कि उसने देखा नहीं - उसके इर्द-गोर्द अजीब सी बात हो रही थी. केक का टुकड़ा खाते ही हर मेहमान का दिल इच्छाओं से भर आया. यहां तक कि पेद्रो जो हमेशा दुरुस्त रहता था, अपने आंसुओं को नहीं रोक पाया. मामा एलेना जिन्होंने अपने पति की मौत पर एक आंसू तक नहीं बहाया था, चुपके-चुपके सुबक रही थीं. लेकिन यह रुदन एक अजीब तरह के नशे का पहला लक्षण था - दर्द और कुण्ठा का अजीब तीखा नशा - जल्दी ही तमाम मेहमान बगीचे में, बालकनी में और बथरूम में बिखरे पड़े थे और अपने भूले-बिसरे प्यार को याद कर रहे थे.हर कोई. कई लोग समय पर बाथरूम नहीं पहुंच पाए और वे भी बालकनी में कई और लोगों के साथ खड़े हो गए, जहां सामूहिक रूप से उल्टियां की जा रही थीं. केवल एक ही व्यक्ति इस से बच पाया. तीता पर केक का कोई असर नहीं हुआ. अपना केक खत्म करते ही वह दावत से उठकर चली गई- नाचा को बताने के लिए कि पेद्रो केवल उसी से प्यार करता है. नाचा के चेहरे पर आने वाली खुशी की कल्पना करती हुई तीता ने अगल-बगल हो रही गतिविधियों पर ध्यान ही नहीं दिया. उस के हर कदम के साथ हालत बिगड़ती जा रही थी,

उल्टी करने की कोशिश करती हुई रोसौरा अपनी जगह से उठ खड़ी हुई.

उसने उबकाई को काबू पाने का प्रयास किया पर्वह काफ़ी मुश्किल था.. उसको अब एक ही चिन्ता थी - अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की गन्दगी से अपनी शादी की पोशाक को बचा पाना, पर अचानक वह फिसली और सर से पांव तक उलती में सन गई. सड़ांध की नदी में वह अवश कई गज बहती गई और पेद्रो की भयाक्रान्त आंखों के सामने ज्वालामुखी की तरह उसके मुंह से बड़ी मात्रा में उल्टी निकलने लगी.रोसौरा ने खट्टे मन से शिकायतें कीं इ उसकी शादी तबाह हो गई और दुनिया की कोई भी ताकत उसे यह मानने को यैयार नहीं कर सकती थी कि तीता ने जान बूझ कर केक में कोई चीज़ नहीं मिलाई थी.

रात भर रोसौरा कराहती रही और उस चादर का ख्याल भी उसे नहीं आया जिसे काढ़ने में इतना समय लगा था. पेद्रो ने तुरन्त कहा कि वे अपनी सुहागरात फिर कही मना लेंगे. लेकिन उनकी सुहागरात महीनों तक नहीं हो सकी जब एक बार हिम्मत कर के रोसौरा ने उस से कहा कि वह बिल्कुल ठीक हो चुकी है. उस रत, जब पेद्रो को आभास हुआ कि वह इस वैवाहिक ज़िम्म्जेदारि से नहीं बच सकेगा, वह उस बिस्तर पर झुका जिस पर शादी की चादर फैली हुई थी और उसने प्रार्थना की -

"ईश्वर, यह किसी वासना के लिए नहीं बल्कि एक शिशु के लिए होगा जो तुम्हारा सेवक होगा."

तीता ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इस दुर्भाग्यपूर्ण विवाह को पूर्ण होने में इताअ समय लगा होगा पर उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था.

तीता की चिन्ता थी अपनी जान बचाने की. शादी की रात मामा एलेना ने उसे इतना पीटा जितना वह कभी नहीं पिटी थी. अपने ज़ख़्मों के भर जाने की प्रतीक्षा में वह दो हफ़्ते बिस्तर पर लेटी रही थी. मामा एलेना ने वहशियों की तरह उसे इसलिए पीटा कि उन्हें यकीन था तीता ने नाचा के साथ मिलकर केक में उल्टी करने वाली दवाई मिलाई थी. तीता उन्हें यह विश्वास नहीं दिला पाई कि उसने केवल एक अतिरिक्त चीज़ केक में मिलाई थी - वे आम्सू जो केक बनाते समय उसकी आंखों से निकले थे, इसका सबूत नाचा भी नहीं दे पाई - शादी की रात जब तीता नाचा को ढूंढ़ने निकली थी उसने नाचा को मरा हुआ पाया. नाचा की आंखें खुली हुई थीं, दवा वाली पत्तियां उसके माथे पर धरी हुई थीं और उसके हाथों ने उसके मंगेतर की तस्वीर को कसकर जकड़ा हुआ था.

(अध्याय दो समाप्त - आगे से अध्याय तीन ग़ुलाब की पंखुड़ियों के सॉस में पकी बटेर)

1 comment:

Pawan Kumar said...

"बेहतरीन" पोस्ट