Monday, February 27, 2012

स्वांतः सुखाय

स्वांतः सुखाय

कुमार अम्बुज

जो स्वांतः सुखाय था
उसकी सबसे बड़ी कमी सिर्फ यह नहीं थी
कि उसे दूसरों के सुख की कोई फ़िक्र न थी

बल्कि यह थी कि वह अक्सर ही
दूसरों के सुख को
निगलता हुआ चला जाता था.

2 comments:

vidya said...

वाह!!!

लाजवाब.....

प्रवीण पाण्डेय said...

सच में गहरा..