Sunday, September 30, 2012

जो मैं जानति बिसरत हैं सैयां

कल आलोक धन्वा से पुराने हिन्दी फ़िल्मी गानों पर हुई एक घंटा हुई बातचीत के बाद यह गीत तंग कर रहा है. यूट्यूब से साभार लिया गया यह गीत १९५४ में आई भारत भूषण और नूतन द्वारा अभिनीत फिल्म शबाब  से है. गीत शकील बदांयूनी का है और लयबद्ध किया है नौशाद ने. 

1 comment:

Neeraj said...

नेक्स्ट नेक्स्ट करते करते मैं मोहे पनघट पे नंदलाल तक पहुँच गया हूँ ... आगे कहाँ तक जाता हूँ , देखता हूँ ...