Monday, February 29, 2016

उठो ज्ञानी खेत संभारो


पंडित कुमार गंधर्व जी के स्वर में  कबीरदास जी का एक और अति प्रिय भजन-  

अवधूता गगन घटा गहरानी रे

पश्चिम दिशा से उलटी बादलरुम झूम बरसे मेहा
उठो ज्ञानी खेत संभारोबह निसरेगा पानी 

निरत सुरत के बेल बनावोबीजा बोवो निज धानी
दुबध्या दूब जमन नहिं पावेबोवो नाम की धानी 

चारो कोने चार रखवालेचुग ना जावे मृग धानी
काट्या खेत भींडा घर ल्यावेजाकी पुरान किसानी 

पांच सखी मिल करे रसोईजिहमे मुनी और ग्यानी
कहे कबीर सुनो भाई साधोबोवो नाम की धानी 


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