Wednesday, August 3, 2016

सेनेका की सीखें - 4


"समय का इस्तेमाल करने में आपने उसकी तेज़ी को अपनी रफ़्तार से टक्कर देनी चाहिए, और आपने उस तेज़ रफ्तार से बह रही धारा में से जल्दी जल्दी पी लेना चाहिए जो हमेशा बहती नहीं रहेगी. ठीक जिस तरह यात्री वार्तालाप करने या पढ़ने से या गहरा चिंतन कर लेने से छला जाता है, और यह जानने से पहले कि वह अपनी मंजिल पर पहुँचने वाला था उसे लगता है वह अपनी मंजिल पर पहुँच गया है, जीवन की अनवरत और बेहद तेज़-रफ़्तार यात्रा के साथ भी यही होता है जिसे हम सोते और जागते उसी रफ़्तार से कर रहे होते हैं - चिंताओं में डूबे लोगों को इसका पता तब लगता है जब वह समाप्त हो चुकी होती है.

सारे लोगों में से केवल उन्हीं लोगों के पास खाली समय होता है जो दर्शन-विचार के लिए समय बनाते हैं, केवल वे ही लोग वास्तव में जीवित हैं. क्योंकि वे न सिर्फ अपनी जिन्दगानियों की भले से पहरेदारी करते हैं, वे हर युग को अपने समय के साथ मिला लेते हैं. जितने भी साल उनसे पहले बीत चुके हैं, वे उनके अपने सालों में जुड़ जाते हैं. अगर हम बहुत ज़्यादा अहसानफरामोश न हों तो उन सारे पवित्र मतों-सम्प्रदायों के प्रतिष्ठित संस्थापक हमीं में से पैदा हुए थे और उन्होंने हमारे लिए जीवन जीने का एक रास्ता बनाया. दूसरों की मेहनत से हमें उन चीज़ों की उपस्थिति के भीतर ले जाया जाता है जिन्हें अँधेरे से उजाले में लाया गया है.  
   
उनसे आप जो मर्जी चाहें ले सकते हैं: यह उनकी ग़लती नहीं होगी अगर आप उनमें से अपना हिस्सा न लें. जिस आदमी ने अपने आप को उनका मुवक्किल बना लिया उसके लिए क्या शानदार खुशी और कैसा ज़बरदस्त बुढ़ापा इंतज़ार कर रहा है! उसके पास दोस्त होंगे, सबसे महत्वपूर्ण और सबसे छोटी चीज़ों की बाबत जिनकी सलाह वह ले सकता है, जिनसे वह अपने खुद के बारे में रोज़ मशविरा कर सकता है, जो बिना उसे शर्मिंदा करे उसे सच बताएंगे और बिना उसकी चापलूसी किये उसकी तारीफ़ करेंगे, जो उसके आगे एक आदर्श पेश करेंगे जिस पर वह अपने आप को ढाल सकता है.


हमें यह कहने की आदत पड़ चुकी है कि यह हमारे अधिकार में नहीं था कि हम उन माता-पिताओं को चुन पाते जो हमें दिए गए और यह कि वे हमें बस यूं ही दे दिए गए. लेकिन हम यह तो चुन ही सकते हैं कि हम किसके बच्चे बनना चाहेंगे. सबसे उच्चकुलीन ज्ञान के घराने हुआ करते 
हैं - उनमें से उसे चुन लो जिसमें तुम गोद लिए जाना चाहते हो, और तुम्हें न सिर्फ उसका नाम मिलेगा उसकी संपत्ति भी तुम्हारी होगी. और इस संपत्ति का पहरा कंजूसी से या द्वेष के साथ करने की ज़रुरत नहीं होगी: उसे जितना बांटा जाएगा, वह उतनी ही अधिक होती जाएगी. वे तुम्हें अमरत्व का रास्ता पेश करेंगे और आपको एक ऐसे बिंदु तक उठा देंगे जहाँ से किसी को भी गिराया नहीं जाता. मनुष्य की भंगुरता को लंबा करने का यही इकलौता रास्ता है - यहाँ तक कि उसे अमरता में बदलने का भी."

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